इस नाटक का नाम हिन्दी में छलाँग होता। छलांग जो हम बचपन में अपने कमरे के बिस्तर से जमीन पर लगाते थे, छलांग जो हम आपस में…… Read more “Jump Play हिंदी में छलाँग”
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“अधूरा” नाटक की पूरी समीक्षा
कभी ऐसा होता है आप अपने जीवन सूक्ष्म पहलुओं, घटनाओं को किसी को खुल कर बता सके? खुल कर बिना किसी तरह के विश्लेषण के सामने परोस…… Read more ““अधूरा” नाटक की पूरी समीक्षा”
कोहिनूर के पटल पर औरत का चित्र – नाटक पर एक विचार
तीन चित्र उकेरने जरूरी थे नाटक के आख़िर में। कहानियों को ज़िंदगी होती है जब तक वह पाठकों या दर्शकों के मानस-पटल में बसी हुई है। उसके…… Read more “कोहिनूर के पटल पर औरत का चित्र – नाटक पर एक विचार”
अपने घर जैसा – नाटक पर मेरे विचार
निम्न निबंध या समीक्षा व विचार 22 अप्रैल 2023 को मंचित हुए नाटक “अपने घर जैसा” का है जो इसका दूसरा मंचन था। आज दो महीने बाद…… Read more “अपने घर जैसा – नाटक पर मेरे विचार”
गंगा स्नान नाटक – एक समीक्षा
हाथ मिलाना। रंगमंच के कलाकारों से उनके नाटक के मंचन के बाद हाथ मिलाना, जिसमें उनके हाथ सकुचाये-से आपके हाथ को मिलते हैं। चेहरे पर मुस्कुराहट और…… Read more “गंगा स्नान नाटक – एक समीक्षा”
चरनदास चोर का सच
मेरी रोजमर्रा की आदतों में हँसना शुमार नहीं है और न ही मैंने इस भाव को अपने जीवन में स्थान देने के लिए कोई ज़हमत उठाई है।…… Read more “चरनदास चोर का सच”
आषाढ़ का एक दिन – समीक्षा कम शब्दों में
मोहन राकेश की लिखी *आषाढ़ का एक दिन* एकलौता नाटक है जिसे पढ़ते-पढ़ते मैं भावुक होकर रो पड़ा था। आज मैंने इस नाटक का मंचन देखा जिसे…… Read more “आषाढ़ का एक दिन – समीक्षा कम शब्दों में”