Jump Play हिंदी में छलाँग

इस नाटक का नाम हिन्दी में छलाँग होता। छलांग जो हम बचपन में अपने कमरे के बिस्तर से जमीन पर लगाते थे, छलांग जो हम आपस में…… Read more “Jump Play हिंदी में छलाँग”

Black Hole नाटक और ख़ालीपन का ख़ालीपन

नाटक के बाद जब ज्योति जी को रंगा शंकरा के बाहरी परिसर में देखा तब वह एक शिथिल सी औरत जैसी दिखी जो अपने चेहरे पर एक…… Read more “Black Hole नाटक और ख़ालीपन का ख़ालीपन”

आषाढ़ का एक दिन – समीक्षा कम शब्दों में

मोहन राकेश की लिखी *आषाढ़ का एक दिन* एकलौता नाटक है जिसे पढ़ते-पढ़ते मैं भावुक होकर रो पड़ा था। आज मैंने इस नाटक का मंचन देखा जिसे…… Read more “आषाढ़ का एक दिन – समीक्षा कम शब्दों में”

कितना कुछ किया जा सकता था “दो कौड़ी के खेल में”

अगर ये इस नाटक का पहला मंचन होता तो इस समीक्षा का शीर्षक होता – कितना कुछ किया जा सकता है “दो कौड़ी के खेल में”, पर…… Read more “कितना कुछ किया जा सकता था “दो कौड़ी के खेल में””